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ग्लोबल इन्वेस्टर समिट: तीन दिन में इंदौर में मोदी के दो कार्यक्रम, शिवराज ने इन आयोजनों से क्या खोया और क्या पाया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन में दो बार इंदौर के कार्यक्रमों में शिरकत की। नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय सम्मेलन में प्रत्यक्ष मौजूद रहे। फिर 11 जनवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंदौर विमानतल पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंदौर विमानतल पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह पिछले चार महीने में उनका मध्यप्रदेश में चौथा बड़ा कार्यक्रम था। मोदी ने सितंबर में अपने जन्मदिन पर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों को बाड़ों में छोड़ा। फिर 11 अक्टूबर को उज्जैन आकर श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। पिछले तीन दिन में तो इंदौर में ही मोदी के दो प्रमुख कार्यक्रम हुए। उन्होंने नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन और 11 जनवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री के इन कार्यक्रमों के जरिये अपनी छवि चमकाने की कोशिश की। सवाल यह है कि क्या शिवराज इसमें सफल रहे? क्या उन्हें इन कार्यक्रमों से वह रिचार्ज मिल गया है जो उन्हें इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करेगा? मध्यप्रदेश के लिए यह चुनावी साल है। इस वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों और उनके भाषणों में कहे गए एक-एक शब्द का अपना महत्व है। मोदी ने प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम के भाषण में मंचासीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जिक्र औपचारिकता में किया। जैसे कि मंच पर मौजूद अन्य अतिथितियों का किया था। इसके बाद ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के उद्घाटन अवसर पर दिए 15 मिनट के भाषण में तो नाम तक नहीं लिया। मोदी ऐसे हैं नहीं। यूपी में जाते हैं तो योगी आदित्यनाथ की, उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की तो गुजरात जाकर वहां के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की तारीफ जरूर करते हैं। आखिर सांकेतिक तौर पर ऐसा करना इन नेताओं को अपने-अपने राज्यों में मजबूती देता है। हैरानी की बात यह है कि शिवराज का जिक्र मोदी ने औपचारिकता में ही किया। न उन्हें इन आयोजनों की बधाई दी और न ही उनकी टीम को। सिर्फ इंदौर और मध्यप्रदेश की तारीफ के पुल बांधकर दिल्ली लौट गए।  

इंदौर की जमकर तारीफ की
प्रवासी भारतीयों के सामने मोदी ने इंदौर की जमकर तारीफ की। उसे स्वच्छता से लेकर स्वाद की राजधानी तक बता दिया। जनभागीदारी और जन-सहभागिता की राजधानी बताया। प्रवासियों से उज्जैन जाकर श्री महाकाल लोक के दर्शन करने की अपील की। मध्यप्रदेश को आस्था का बड़ा केंद्र बताया। उद्योगपतियों के सामने मध्यप्रदेश की उजली तस्वीर पेश की। लेकिन ऐसा कुछ नहीं बोले, जिससे शिवराज सिंह चौहान की पीठ पर थाप पड़ती हो। या ऐसा संकेत मिलता हो कि विधानसभा चुनावों में एक बार फिर भाजपा मामा के नेतृत्व में मैदान पकड़ने वाली है।

शिवराज ने दो बार मांगी माफी 
प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मोदी के भाषण के दौरान प्रवासियों को परेशानी हुई। कई देशों से आए मंत्रियों

तक को हॉल में जगह नहीं मिली। 2,200 सीटों की क्षमता वाले ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर के लिए 3,500 से अधिक मेहमानों का रजिस्ट्रेशन करा लिया था। कई प्रवासी भारतीय इस मुद्दे पर शिवराज से नाराज दिखाई दिए। और, शिवराज सिंह चौहान को दो बार माफी मांगनी पड़ी। पहले तो मोदी के सामने मंच से ही कहा कि हॉल छोटा पड़ गया, लेकिन दिल में स्नेह की कमी नहीं है। फिर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने सम्मेलन के समापन अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता ही ऐसी है कि हॉल छोटा पड़ गया। मैं प्रवासी भारतीयों से दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं।

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भी हुई गड़बड़ी 
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के उद्घाटन अवसर पर मोदी को वर्चुअली संबोधित करना था। इस दौरान पहले तो ऑडियो की तकनीकी दिक्कतों की वजह से मोदी से पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को बोलने का मौका दिया गया। गोयल ने बोलना शुरू ही किया था कि प्रधानमंत्री ऑनलाइन आ गए। इस दौरान भी मंदसौर, रतलाम और नीमच के कई उद्योगपति सभास्थल के बाहर आरोप लगाते दिखे कि पैसे ले लिए लेकिन प्रवेश नहीं दिया जा रहा। हॉल छोटा पड़ गया है। बाहर से आए कई मीडिया वाले भी सभास्थल में प्रवेश नहीं पा सके। 

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