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‘नयी Congress’ के आगाज’ का ऐलान, नेताओं को अनुशासित रहने की दी गई नसीहत

कांग्रेस ने अपने तीन दिवसीय 85वें महाधिवेशन के अखिरी दिन रविवार को ‘नयी congress के आगाज’ का ऐलान किया और अपने नेताओं से आह्वान किया कि वे इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए अनुशासित एवं एकजुट होकर काम करें, क्योंकि ये चुनाव ही आगामी लोकसभा चुनाव की दिशा तय करेंगे।

पार्टी ने एक बार फिर से फिर विपक्षी एकजुटता की जरूरत पर जोर दिया और स्पष्ट रूप से यह संकेत भी दिया कि वह ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब अरुणाचल प्रदेश से गुजरात के बीच यात्रा निकाल सकती है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस के महाधिवेशन से अडाणी समूह के मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखे प्रहार किए और यह भी कहा कि जब तक इस प्रकरण की सच्चाई सामने नहीं आ जाती, तब तक उनकी पार्टी सवाल उठाते रहेगी। महाधिवेशन के आखिरी दिन कांग्रेस ने कृषि, सामाजिक न्याय और युवा मामलों संबंधी तीन प्रस्ताव भी पारित किए।

पार्टी ने यहां महाधिवेशन में जारी संकल्प पत्र ‘रायपुर की हुंकार’ में कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय करेंगे। मुख्य विपक्षी दल ने कहा, ”इस वर्ष कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान और तेलंगाना में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होंगे। हमारी जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को अनुशासन, एकजुटता और पूरी एकता के साथ काम करना चाहिए।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा समय में पार्टी के समक्ष कई चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने के लिए एकता, अनुशासन और दृढ़ संकल्प की जरूरत है कांग्रेस ने अपने नेताओं से एकजुटता और अनुशासन की अपील ऐसे समय की है, जब कुछ राज्यों में, खासकर राजस्थान में लंबे समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कलह समय-समय पर सामने आती रही है। खरगे ने पार्टी के 85वें महाधिवेशन के समापन पर यह भी कहा कि यह नयी कांग्रेस का आगाज है।

राहुल गांधी ने अडाणी मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सच सामने आने तक पार्टी गौतम अडाणी के बारे में सवाल पूछती रहेगी। उन्होंने संसद में उद्योगपति का समर्थन करने के लिये भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी आड़े हाथों लिया। कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर छह से 10 मार्च के बीच पूरे देश में सरकारी बैंकों और एलआईसी के दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा तथा मार्च महीने में ‘पर्दाफाश’ रैलियों का भी आयोजन होगा। उन्होंने कहा कि 13 मार्च को ‘चलो राजभवन’ मार्च का भी आयोजन किया जाएगा।

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से शुरू की गई ”तपस्या” को आगे बढ़ाने के लिए एक नई योजना तैयार करनी चाहिए और वह पूरे देश के साथ इसमें शामिल होंगे। इसके साथ ही उन्होंने इस तरह की एक अन्य यात्रा का संकेत दिया। कांग्रेस ने महाधिवेशन के आखिरी दिन एक बार फिर से विपक्षी एकजुटता की जरूरत पर जोर दिया।

उसने अपने संकल्प पत्र में कहा, ”हम समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ मिलकर एक साझा, रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से संविधान को बचाने तथा देश की तीन मुख्य चुनौतियों – बढ़ती आर्थिक असमानता, बढ़ते सामाजिक ध्रुवीकरण और गंभीर होती जा रही राजनीतिक तानाशाही का दृढ़ता से सामना करते रहेंगे।” कांग्रेस ने शनिवार को भी कहा था कि वह सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का दमखम रखती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते त्याग करने को भी तैयार है।

साथ ही, कांग्रेस ने दो टूक कहा था कि तीसरे मोर्चे की कवायद से भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को ही फायदा होगा। पार्टी ने विपक्षी दलों को यह संदेश ऐसे वक्त में देने की कोशिश की है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस से गठबंधन को लेकर जल्द निर्णय करने की अपील कर चुके हैं तथा भारत राष्ट्र समिति समेत कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा कांग्रेस को छोड़कर अन्य दलों को लेकर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद की खबरें आ रही हैं।

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