
मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार के खिलाफ एक और शिकायत की जांच शुरू हो गई है। उन पर आरोप है कि रिश्तेदारों की एक फर्म को उन्होंने एमपीआरडीसी MPRDC में कार्यरत रहते हुए नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाया। इसके पहले भी नरेंद्र कुमार की एक शिकायत की जांच मुख्यमंत्री कार्यालय करने के निर्देश दे चुका है,
वरिष्ठता की अनदेखी कर और नियमों को ताक पर रखकर लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता बनाए गए नरेंद्र कुमार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने लोक निर्माण विभाग के अवर सचिव को आदेश दिए थे कि वह नरेंद्र कुमार के खिलाफ की गई शिकायत की जांच करें। दरअसल अमित कुमार साहू नाम के व्यक्ति ने शिकायत की थी कि पीडब्ल्यूडी PWD के प्रभारी ENC नरेंद्र वर्मा के पुत्र राकेश वर्मा और उनकी पत्नी गीता वर्मा के नाम से पीडब्ल्यूडी में हाईटेक सिविल टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड रजिस्टर्ड है। इस फर्म पर आरोप लगाया गया था कि ठेकेदारों को काम दिलवाने से लेकर डीपीआर कंसल्टेंट, ब्रिज कांटेक्ट में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से कार्य कराने का काम करती है। इस मामले में विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने शिकायत मिलने की बात की सत्यता की पुष्टि करते हुए कहा था कि तथ्यों के आधार पर जांच की जाएगी और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

जैसा कि बताया जा रहा है नवंबर में ही नरेन्द्र कुमार(मुख्य अभियंता ,निर्माण विभाग )के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईवे ग्रोथ अथॉरिटी में रहते हुए अपनी निजी एजेंसी चलाते है , उनके परिवार द्वारा चलाई जा रही निजी कंपनी को मेंबर्स द स्केल फॉर मैट्रिक्स एंड इनफॉर्मेशन एसोर्टमेंट पर्सनल रिस्ट्रीकेट को विभाग द्वारा रोड की गुणवत्ता की जांच करने को ड्यूटी सौंपी गई है। बताया ये भी जा रहा है की कुल 115 निर्मित सड़कों के जांच प्रशिक्षण में से 72 परिक्षण इसी एजेंसी द्वारा किए गए है। जिससे नरेन्द्र कुमार द्वारा अपने पद का गलत इस्तेमाल के साथ भ्रष्टाचार की भी शिकायत । विभाग के निर्देशों के अनुसार किसी भी अधिकारी को अपने परिचित और नाते रिश्तेदार को इतना लाभ नहीं दिया जा सकता।
एमपीआरडीसी (MPRDC) ने उप सामान्य पर्यवेक्षक को शिकायत पर गौर करने का निर्देश दिया था। इतनी शिकायतों के बाद भी नरेन्द्र कुमार अपने ऑफिस में कार्यास्थ है।
पीडब्ल्यूडी के निर्माण विभाग में गड़बड़ी की यह पहली शिकायत नहीं है, इससे पहले भी शिकायतों को जांच शुरू हुई है, गोरताबल है की उनकी कार्यवाही अभी तक पूरी नहीं हुई, श्री गोपाल भार्गव मंत्री जी से उपेक्षा की जा रही है की वे उचित कार्यवाही करेंगे।