भोपाल – राजधानी में सरकारी योजना में सब्सिडी घोटाला सामने आया है। कोल्डड्रिंक बनाने वाली कंपनी ने सरकार को 30 लाख रुपए की चपत लगाई है। सरकार से सब्सिडी का फायदा लेने के लिए 2 करोड़ रुपए का फर्जी बिल लगाया।
सब्सिडी फजीर्वाड़े के मामले में ईओडब्ल्यू ने कंपनी के संचालक और जिला उद्योग व्यापार समिति के अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र मंडीदीप के तत्कालीन जीएम असिस्टेंट मैनेजर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की है।
ईओडब्ल्यू के अधिकारी ने बताया कि साल 2014 में क्रांति बेवरेजेस कंपनी ने जिला व्यापार और उद्योग केंद्र से अलग-अलग किश्तों पर सब्सिडी ली है। सरकार से सब्सिडी लेने के लिए कंपनी के संचालक विशाल पर्सरामपुरिया ने उद्योग निवेश अनुदान योजना के तहत जिला व्यापार केंद्र में आवेदन किया। उन्होंने बताया कि 6 करोड़ों का निवेश किया जा रहा है। इसके तहत कंपनी की तरफ से 2 करोड़ 17 लाख रुपए से अधिक की राशि के बिल जिला व्यापार उद्योग केंद्र में जमा कराएं। ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि सिविल कांट्रेक्टर के नाम से दो करोड़ रुपए के बिल जरूर लगाए हैं लेकिन सिर्फ 30 लाख 57 हजार रुपए ही फर्म को भुगतान किया गया है। ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया है कि उद्योग नीति के तहत 50 फीसदी का निवेश कंपनी के द्वारा किया जाना था। कंपनी ने जिला व्यापार उद्योग केंद्र को बताया कि मशीनरी में 10 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। नियम है कि यदि फर्म 50 प्रतिशत निवेश नहीं करते हैं तो सब्सिडी नहीं मिलेगी। इसलिए फर्म ने सब्सिडी पाने के लिए 6 करोड़ 70 लाख रुपए निवेश में दिखाया और दो करोड़ 17 लाख रुपए की फर्जी बिल लगाए। अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत जिला व्यापार उद्योग केंद्र मंडीदीप के तत्कालीन असिस्टेंट मैनेजर अरुण पांडे और जनरल मैनेजर कैलाश भार्गव ने बिना निरीक्षण किए ही कंपनी हो को सब्सिडी देने का फैसला कर लिया। काजगों और फर्जी बिलों के आधार पर 6 करोड़ 70 लाख रुपए के निवेश को सही मानते हुए 30 लाख रुपए देने की अनुशंसा कर दी।
सरकार को लगाई चपत, कंपनी को पहुंचाया मुनाफा
– इस मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने के साथ कहा है कि अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को चपत लगी है और कंपनी को मुनाफा हुआ है। यदि बिलों की जांच की जाती तो सरकार कंपनी को सब्सिडी नहीं देती। जांच के आधार पर जिला व्यापार और उद्योग केंद्र के तत्कालीन जनरल मैनेजर कैलाश भार्गव, तत्कालीन सहायक प्रबंधक अरुण पांडे, कंपनी के मालिक और आॅफिस इंचार्ज पर धोखाधड़ी और फर्जी बिल पेश करने के लिए कूट रचित दस्तावेज बनाने सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
फैक्ट्री के लिए सरकार से मिली थी जमीन
– मजे की बात है कि साल 2011 में फैक्ट्री खोलने के लिए कंपनी को सरकार ने जमीन दी थी। जिस पर 5 सालों के अंदर कंपनी को फैक्ट्री शुरू करनी थी। शर्त थी कि सब्सिडी के लिए निवेश 50 फीसदी होना चाहिए लेकिन कंपनी ने फर्जीवाड़ा किया। यह खुलासा भी ईओडब्ल्यू की एफआईआर में हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में शासन को भी जानकारी दी जाएगी।
– निजी व्यक्ति के सब्सिडी में फर्जीवाडेÞ की सूचना दी गई थी। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू ने की। जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। कंपनी के मालिक और जिला व्यापार और उद्योग केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ भी मामला कायम किया गया है। – डीके सिंह, उप पुलिस अधीक्षक, ईओडब्ल्यू भोपाल
progress of india news