arthiritis : घुटनों-जोड़ों के दर्द में सर्जरी ही नहीं ,पीआरपी (PRP) थेरपी भी हो सकती है लाभदायक

पीआरपी थेरेपी : क्या होता है ?क्या है इसके फायदे ।। प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज भोपाल
पीआरपी थेरेपी
पीआरपी थेरेपी

घुटना खराब होना या घुटने में दर्द होना या फिर अधिक वजन के कारण घुटने खराब होने की समस्या में सर्जरी कराना ही एकमात्र उपाय नहीं है। पीआरपी भी इस तरह की समस्या में लाभदायक हो सकता है।

पीआरपी थेरेपी अब सतना में

अधिक उम्र में घुटनों के दर्द की मुख्य वजह ऑस्टियो अर्थराइटिस है। घुटनों के जोड़ खराब होने पर doctors नी रीप्लेसमेंट (knee replacement ) की सलाह देते है ,लेकिन नी रीप्लेसमेंट की जगह पीआरपी (platelet -rich plasma) थेरेपी भी अपना सकते है।

क्या होता है अर्थराइटिस : arthiritis इन हिन्दी

अर्थराइटिस यानी गठिया आज की बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खानपान आदि वजहों से ये रोग अब केवल बुजुर्गो तक हीं सीमित नहीं रह गया है। बल्कि युवा भी इसका शिकार होते जा रहे है। अर्थराइटिस का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है। बहुत लोग समय-समय पर अपने बदन में दर्द और अकड़न महसूस करते हैं। कभी-कभी उनके हाथों, कंधों और घुटनों में भी सूजन और दर्द रहता है तथा उन्हें हाथ हिलाने में भी तकलीफ होती है। ऐसे लोगों को अर्थराइटिस हो सकता है।

अर्थराइटिस के कारण: arthiritis इन हिन्दी

कार्टिलेज जोड़ो का एक नर्म और लचीला ऊतक है। जब आप चलते हैं और जोड़ों पर दबाव डालते हैं तो यह प्रेशर और शॉक को अवशोषित करके आपके जोड़ों को बचाता है। कार्टिलेज ऊतकों की मात्रा में कमी से कई प्रकार के गठिये होते है। सामान्य चोटें ऑस्टियो आर्थराइटिस का कारण बनती हैं, यह गठिया के सबसे सामान्य रूपों में से एक है।  यदि परिवार के लोगों में यह बीमारी पहले से चली आ रही है तो इस बीमारी के आगे भी बने रहने की संभावना बढ़ जाती है।

पीआरपी थेरेपी से अर्थराइटिस का इलाज बिना सर्जरी के है संभव

progress of india news

प्लेटलेट-समृद्ध प्लाज्मा थेरेपी, जिसे कभी-कभी पीआरपी थेरेपी या ऑटोलॉगस कंडीशन्ड प्लाज्मा (एसीपी) थेरेपी कहा जाता है, क्षतिग्रस्त कार्टिलेज, टेंडन, लिगामेंट्स, मांसपेशियों या हड्डी की मरम्मत के लिए रक्त के प्राकृतिक उपचार गुणों का लाभ उठाने का प्रयास करती है।

क्या है पीआरपी थैरेपी: ये एक थैरेपी है जिसे प्लेटलेट्स-रिच प्लाज्मा थैरेपी के नाम से जाना जाता है इस प्रक्रिया में जिस व्यक्ति का उपचार किया जा रहा है उसी का रक्त लिया जाता है। इसमें एक प्रक्रिया के जरिये प्लेटलेट्स के साथ प्लाज्मा ट्यूब में एकत्र कराए जाते हैं। यह प्लाज्मा, जिसमें प्लेटलेट्स और ग्रोथ फेक्टर्स की मात्रा अधिक होती है, ऊतकों के पुनर्निर्माण और क्षतिग्रस्त ऊतकों (टिश्यूज़) को ठीक करने में काफी उपयोगी होता है। पीआरपी में सामान्य रक्त की तुलना में 5 गुना अधिक प्लाज्मा होता है।

पीआरपी थेरेपी इमेज : representational purpose only

इस थैरेपी का आधार यह है कि प्लेटलेट्स घावों के भरने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। एक बार में 20 मिलीलीटर रक्त लिया जाता है। इससे प्लेटलेट्स को अलग करने के बाद इसमें एक्टिवेटर मिलाए जाते हैं, जो प्लेटलेट्स को एक्टिवेट कर देते हैं ताकि जहां क्षति हुई है वहां यह बेहतर तरीके से कार्य कर सके।

पीआरपी थेरेपी : इसके कई फायदे है

इंजेक्शन बहुत किफायती है, क्योंकि इस पर होने वाला खर्च नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के खर्च के दसवें हिस्से के बराबर होता है।

यह इलाज किसी भी आयु वर्ग के मरीजों के लिए लाभकारी है क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

दर्द कम करता है संयुक्त कार्य में सुधार करें संभवतः धीमा, रुक हुआ या यहां तक ​​कि कार्टटीलेज को हुए नुकसान की भी मरम्मत करता है ।

आराधना पैन मैनिज्मन्ट सेंटर ( आकाश गंगा नगर ,पटेरी सतना ) में पीआरपी थेरेपी की सुविधा उपलब्ध है जिससे आप बिना सर्जरी के आदि प्रकार के दर्द से निजात पा सकते है ।

सतना से राजू गर्ग की रिपोर्ट 

#हेल्थ #progressofindianews #poi

progress of india news

Leave a Comment