Mahashivratri||महाशिवरात्रि विशेष।।2022

सतना का ऐसा अदभुद मंदिर जो खंडित होने के बाद भी है पूज्यनीय।।

सतना। हम बात कर रहे है सतना जिले के गैवीनाथ नामक शिवमंदिर की।
वैसे तो मध्यप्रदेश में शिव जी के बहुत से मंदिर लेकिन हर मंदिर की अपनी एक विशेषता है ,ऐसे ही एक मंदिर की विशेषता हम आपको बताने जा रहे है।
शास्त्रों में खंडित प्रतिमा की पूजा निषेध मानी जाती है. मगर सतना जिले के बिरसिंहपुर में खंडित शिवलिंग की पूरे श्रद्धा के साथ पूजा होती है. बताया जाता है इसे औरंगजेब के सैनिकों ने खंडित करने का प्रयास किया था।
सतना मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है बिरसिंहपुरकस्बा. इसी कस्बे में तालाब किनारे गैवीनाथ नाम का शिवमंदिर
स्थापित है, जिसमें विराजित बाबा भोले नाथ को गैवीनाथ नाम से
जाना जाता है. यहां प्रत्येक सोमवार अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की
भीड़ उमड़ती है. महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी का मेला देखने के लिए हजारों भीड़ होती है।
मंदिर का तालाब कभी सूखता नहीं देश के कोने-कोने से महाशिवरात्रि और सावन मास में महादेव के दर्शन करने श्रद्धालु गैवीनाथ धाम पहुंचते हैं. मंदिर से सटे तालाब के बारे में कहा जाता है कि यह हमेशा पानी से भरा रहता है. इसकी धार उज्जैन के क्षिप्रा नदी से जुड़ी है. भगवान शिव की कृपा से यह कभी नहीं सूखता.

किवदंती के अनुसार कभी यह देवपुर नगरी हुआ करती थी, जिसके राजा थे वीरसिंह वीर सिंह महाकाल के अनन्य भक्त थे. वो रोजाना उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे. जब उनकी उम्र ज्यादा हो गई तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ हो गए. उन्होंने महाकाल से विरसिंहपुर में स्थापित होने के लिए कहा तो बाबा राजा से प्रसन्न होकर गैविनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए और यहां विराजित हो गए.
मंदिर खंडित कैसे हुआ?
कालांतिर में बुतपरस्ती के खिलाफ रहे औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग के ऊपर तलवार से वार कर दिया था. आज भी शिवलिंग 3 हिस्सों में विभाजित दिखता है. बताया जाता है कि मूर्ति को तोड़ने के दौरान औरंगजेब और सैनिक बेहोश हो गए. जब वो होश में आए तो उन्होंने खुद को चित्रकूट में पाया.
किंवदंती है कि यहां ,मन्नत की चुनरी बांधने से सारी मनोकामना पूरी होती है।और मनोकामना पूरी होने के बाद ये चुनरी अपने आप खुल जाती है।