।।(पन्ना न्यूज )औषधि निरीक्षक की निष्क्रियता के चलते जिले में अमानक दवाओं की भरमार।।(पन्ना न्यूज)।।2022।।


औषधि निरीक्षक की निष्क्रियता के चलते जिले में अमानक दवाओं की भरमार
पन्ना-पन्ना जिले में अमानक दवाओं का ब्यापार खूब फल फूल रहा है,जन सामान्य को दवाओं के बारे में कोई जानकारी नही होती है इसी का फायदा उठाकर औषधि माफिया जिले में दवाओं के अवैध ब्यापार में खूब पनप रहे है।कोई भी दवा माफिया होल सेल का लाइसेंस बनवाकर या फिर बगैर लाइसेंस के अमानक स्तर की दवाओं (जिन्हें मेडिकल की भाषा मे पी जी कम्पनी कहा जाता है )की खेप फर्जी चिकित्सको और मेडिकल स्टोरों में पहुंचाकर खूब मुनाफा कमा रहे और आम जनता की लूट के साथ उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
अमानक दवाओं की विक्री की रोकथाम के लिए तैनात होते है औषधि निरीक्षक
अमानक स्तर की दवाओं के उत्पादन और विक्री की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में औषधि निरीक्षक नियुक्त होते है जिनका काम होता है कि जहां कही भी अमानक स्तर की दवाओं का ब्यापार होता हो उन पर वैधानिक कार्यवाही करें किन्तु औषधि निरीक्षक अपने सालाना तयशुदा नजराने के सामने सभी नियमो को दरकिनार कर अवैध ब्यापार को खुली छूट देते है।
सूत्रों से हासिल जानकारी के अनुसार मेडिकल स्टोर संचालकों एवं फर्जी चिकित्सको द्वारा औषधि निरीक्षक को सालाना नजराना पेश किया जाता है इसी वजह से न तो मेडिकल स्टोरों की कभी जांच होती न ही लाखो की अमानक दवाओं का स्टॉक रखनेवाले फर्जी चिकित्सको पर कोई कार्यवाही।
औषधि निरीक्षक यदि कड़े कदम उठाए तो संभव है कि अमानक स्तर की दवाओं की विक्री पर लगाम लग सके।
प्रभारी औषधि निरीक्षक के भरोसे पन्ना जिला ,
वैसे तो प्रत्येक जिले में एक औषधि निरीक्षक की नियुक्ति का प्रावधान है किंतु पन्ना जिले का प्रभार छतरपुर में पदस्थ औषधि निरीक्षक रामलखन पटेल को दिया गया है।औषधि निरीक्षक राम लखन पटेल कभी कभार ही पन्ना आते है और दलालो के माध्यम से अपना नजराना वसूल कर अपने कर्तब्यों से इति श्री कर लेते है।
फार्मेसी एक्ट 10948 के तहत प्रत्येक मेडिकल स्टोर में फार्मासिष्ट की अनिवार्यता है ताकि मेडिसिन के जानकार फार्मासिष्ट ,चिकित्सक के पर्चे को ठीक से पढ़कर डोज के हिसाब से मरीज को सलाह दे सके।जिले के चप्पे चप्पे में खुले मैडिकल स्टोरों में शायद ही कही फार्मासिष्ट के दर्शन हो जाये सभी मेडिकल स्टोर 8 वी 10 वी पास लड़को के भरोसे चल रहे है वजह केवल औषधि निरीक्षक की निष्क्रियता।
फर्जी चिकित्सको के पास अमानक दवाओं का जखीरा
दवा ब्यापार में थोक विक्रेता जिस मेडिकल स्टोर वाले को दवाइयां सप्पलाई करते है उस मेडिकल स्टोर का डी एल नम्बर डालकर ही बिल बनाते है ऐसा प्रावधान है लेकिन प्रायोगिक रूप से ऐसा देखने को मिल रहा है कि गांव से लेकर शहर शहर तक फर्जी चिकित्सको की भरमार है और इनके पास अमानक दवाओं का पर्याप्त भंडारण रहता है,अब सवाल तो लाजिमी है कि इन अवैध चिकित्सको के पास दवाओं का जखीरा कैसे पहुंच जाता है ?जानकारों की माने तो फर्जी चिकित्सको के पास ऐसी दवाएं भंडारित रहती है जिनमे प्रॉफिट मार्जिन बहुत ज्यादा होता है जिन्हें दवा ब्यापार की दुनिया मे मार्केट की दवाओं के नाम से जाना जाता है।इन फर्जी चिकित्सको के पास जो टॉनिक,टेबलेट,इंजेक्शन उपलब्ध रहते है उनकी बाज़ारू कीमत से 5 से 10 गुना तक प्रिंट रेट रहता है और यह प्रिंट रेट दिखाकर मनमानी पैसे ऐंठते है।आखिर बिना किसी बिल बाउचर के अमानक दवाएं इन फर्जी चिकित्सको के पास कैसे पहुंच जाती है यह एक गंभीर सवाल है।
जिले में ब्यापक पैमाने पर अमानक स्तर की दवाओं का कारोबार फलीभूत होने के बावजूद भी इन दवा माफियाओ पर कोई कार्यवाही न होना जिले के जिम्मेदार प्रशासन की लचर ब्यवस्था का परिचायक है।
जानकारी के अनुसार जिले के औषधि निरीक्षक रामलखन पटेल अभी तक अमानक स्तर की दवाओं की विक्री पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुए है जबकि शासन द्वारा दिये गए दायित्वों और कर्तब्यों का यदि यह ईमानदारी से पालन करे तो क्या मजाल की जिले में अमानक स्तर की दवाओं का कारोबार फल फूल सके।जिम्मेदार जनप्रतिनिधियो और प्रशासनिक अमले को अमानक स्तर की दवाओं के ब्यापार में लगाम लगाने हेतु कारगर कदम उठाने चाहिए ताकि गरीब असहाय जनता लुटने से बच सके और उनके स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर लगाम लग सके।