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MP: जल संसाधन के चीफ इंजीनियर त्रिपाठी के खिलाफ लोकायुक्त में गंभीर शिकायत, यह है मामला

भोपाल. जल संसाधन विभाग के तहत गंगा कछार के मुख्य अभियंता चिंतामणि त्रिपाठी के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की गई है. शिकायत में उन पर खरबों रुपए के घोटाले के आरोप लगाए गए हैं. साथ ही उनके खिलाफ अब तक के कार्यकाल में कथित अनियमितता की जांच करने की मांग की गई है. यह शिकायत सतना के भ्रष्टाचार उन्मूलन संगठन के आर.एन. सिंह बघेल ने की है. अब तक लोकायुक्त ने क्या कार्रवाई की है, यह जानकारी नहीं मिली है.

शिकायत में कहा गया है कि सहायक यंत्री से लेकर मुख्य अभियंता तक पदस्थ रहे त्रिपाठी के खिलाफ कई अनियमितताओं की जांचें लंबित होने के बावजूद 2010 में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदोन्नति दे दी गई थी. शिकायत में दिए गए विवरण के मुताबिक विधायक अभय मिश्रा ने 2009 में जल सर्वेक्षण विभाग रीवा में टेंडर घोटाले को लेकर शिकायत की थी. उसी शिकायत पर विभागीय जांच चलने के बाद भी कार्यपालन यंत्री बना दिया गया था. उस पद पर रहते हुए भी त्रिपाठी के फैसले से  विभाग को खरबों रुपए के नुकसान होने के आरोप भी लगाए गए हैं.

सहायक यंत्री के रूप में ही उन्हें सेवानिवृत्त किए जाने की मांग की गई है. त्योंथर नहर संभाग सिरमौर के तहत विजय कुमार मिश्रा को दिए ठेके और परियोजना की घटिया गुणवत्ता को लेकर भी शिकायत में कहा गया है कि सभी कार्य दुरुस्त किए जाएं और संविदाकार के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. यह भी कहा गया है कि यह नहर परियोजना अब तक संचालित नहीं हो सकी है. यह आरोप लगाया गया है कि सीएम त्रिपाठी ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए संविदाकार विजय कुमार मिश्रा का पक्ष लिया है. जल संसाधन विभाग रीवा में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ रहते हुए सीएम त्रिपाठी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी इस शिकायत में लगाए गए हैं. आर्थिक अंवेषण विभाग (ईओडब्ल्यू) में एफआईआर होते हुए भी उन्हें पदोन्नति देने के आरोप जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाए गए है. यह शिकायत भी की गई है कि त्रिपाठी को संविदा नियुक्ति देने के मामले में भी नियमों की गंभीर अवहेलना की गई है. दस वर्ष के दौरान अगर किसी कर्मचारी के विरुद्ध आर्थिक अनियमितता के आरोप और जांच रही हो तो उसे संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.

प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज

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