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इंदौर-देवास सिक्स लेन हाईवे के मेंटेनेंस पर 118 करोड़ खर्च करने की तैयारी

मानसून को लेकर चिंतित एनएचएआई ने मांगे प्रस्ताव, मई में सौंपा जाएगा पांच साल का ठेका

इंदौर। अमित जलधारी, इंदौर बायपास और इंदौर-देवास सिक्स लेन नेशनल हाईवे (Indore Bypass and Indore-Dewas Six Lane National Highway) के मेंटेनेंस पर अगले पांच साल में लगभग 117.82 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी हो रही है।

इसके लिए नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highways Authority of India) (एनएचएआई) ने कांट्रेक्टर एजेंसियों से प्रस्ताव मांग लिए हैं। टेंडर प्रक्रिया मानसून से पहले पूरा करने की तैयारी है, ताकि बारिश के तुरंत बाद खस्ताहाल हुई सडक़ का मेंटेनेंस और पेचवर्क शुरू किया जा सके।

एनएचएआई (NHAI) ने मई-2019 में इंदौर बायपास और देवास सिक्स लेन रोड का टोल वसूलने वाली और रखरखाव करने वाली इंदौर-देवास टोलवेज कंपनी लि. (Indore-Dewas Tollways Company Ltd.) का ठेका निरस्त कर दिया था। इसके पीछे सडक़ का मेंटेनेंस ढंग से नहीं करने की वजह थी। नवंबर-19 में एनएचएआई मेंटेनेंस अपने हाथ में ले लिए थे और टोल वसूली का काम स्कायलर्क कंपनी को सौंप दिया था। तब से अब तक एनएचएआई ही समय-समय पर एजेंसियां नियुक्त कर इस महत्वपूर्ण सडक़ का पेचवर्क कर रही हैं। आखिरी बार इस साल आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन और जी-20 की बैठकों के लिए दोनों सडक़ों का मेंटेनेंस, रोड मार्किंग और अन्य संधारण कार्य किए गए थे। बारिश के दौरान हर साल यह हाईवे बहुत खस्ताहाल स्थिति में पहुंच जाता है, जबकि लोग टोल टैक्स पूरा चुकाते हैं।

45 किमी लंबी रोड पर भोपाल रूट का दबाव भी, टेंडर इसी महीने खुलेंगे

इंदौर-देवास सिक्स लेन रोड पर आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे के अलावा इंदौर से भोपाल, देवास आने-जाने वाले वाहनों का अत्यधिक दबाव रहता है। देवास में बायपास बनने के बाद वाहन चालकों को शहरी क्षेत्र से नहीं गुजरना पड़ता और वे बाहर ही बाहर ग्वालियर या भोपाल की तरफ गुजर सकते हैं। इंदौर बायपास और इंदौर-देवास हाईवे की कुल लंबाई करीब 45 किलोमीटर है। जो कंपनी इसके मेंटेनेंस का जिम्मा लेगी, उसे सडक़ के साथ नालियां कवर करने और रोड मार्किंग आदि का काम संभालना होगा। सूत्रों ने बताया कि एनएचएआई के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय ने काम के लिए एजेंसियों से टेंडर बुला लिए हैं। इच्छुक एजेंसियां 18 अप्रैल तक टेंडर जमा कर सकती हैं। इसके बाद निविदाओं का तकनीकी और वित्तीय आकलन कर सर्वश्रेष्ठ ऑफर देने वाली एजेंसी को काम सौंप दिया जाएगा।

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