इंदौर। लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के मामले में जांच के बाद जल संसाधन विभाग के नौ अफसरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. जांच में दस करोड़ रुपए की आर्थिक अनियमितता अधिकारियों द्वारा किए जाने की पुष्टि हुई है.
लोकायुक्त कार्यालय में इसकी शिकायत 2009 में शहर के नेहरू नगर निवासी राजेश सिंह एवं डॉ. आरबी सिंह ने की थी. कई वर्षों तक जांच चली. संबंधित अधिकारियों के पक्ष सुनने और शिकायत में दिए गए दस्तावेजों के परीक्षण के बाद नौ अधिकारियों की भूमिका भ्रष्टाचार में लिप्त पाई गई है. शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि गुरमा जलाशय के उन्नयन व मरम्मत के लिए 35 करोड़ 2008 में स्वीकृत हुए थे. जिसमें जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कूटरचित दस्तावेज तैयार करा फर्जी भुगतान कराया. इसकी शिकायत पहले विभागीय अधिकारियों से की गई थी लेकिन उनकी ओर से किसी तरह की जांच नहीं कराई गई.
बल्कि मामले में पर्दा डालने का प्रयास किया गया.
फर्जी भुगतान के चलते फंसे अधिकारी
शिकायत दर्ज कराई गई थी कि अधिकारियों द्वारा गुरमा जलाशय के मार्डनाईजेशन एवं ठेके वाले काम में फर्जी भुगतान, गुरमा जलाशय के अलावा बेलहा जलाशय में पुराने कार्य पर नया कार्य कराने एवं कार्य मात्रा बढ़ाकर भुगतान करने तथा राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के कार्यों, फोटोकॉपी आदि के भुगतान में गड़बड़ी कर दस करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया है. जांच में बिना कार्य कराए फर्जी भुगतान कर शासन को 3.97 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाने एवं कार्यों के माप पुस्तिका में दर्ज कर 68.84 लाख रुपए का ठेकेदार को फर्जी भुगतान करना सामने आया है. इसके अलावा अन्य कई भुगतान फर्जी पाए गए हैं. इसलिए माना गया है कि अनियमितता की राशि दस करोड़ से ऊपर होगी.
इन कार्यों में भी हुआ फर्जीवाड़ा
कई ऐसे कार्याें के नाम पर भुगतान किया गया जो हुए ही नहीं हैं. गुरमा बांध के नीचे सीपेज डैम, पिचिंग कार्य, मुख्य नहर के सर्विस रोड वितरिका रिपेयर एवं लाइनिंग, निर्धारित स्पेशिफिकेशन में न कराकर गुणवत्ता विहीन घटिया मटेरियल का उपयोग करते हुए तथा कुछ कार्य बिना कराए ही एकराय होकर ठेकेदारों को अनियमित भुगतान कर दिया गया है. इसी प्रकार पुलियों की सफाई एवं पुताई कराकर नवीन पुलिया का निर्माण बताना, नहरों की सड़कों पर बिना अर्थवर्क एवं मुरुम बिछाए नया कार्य बताकर भुगतान करना, मुख्य नहर से निकाली गई मिट्टी नहर बैंक में डालकर अलग से ढुलाई बताकर भुगतान करना, गुरमा जलाशय के पुनरुद्धार में बिना कार्य कराए भुगतान करना, फोटोकॉपी ब्लूप्रिंट एवं कम्प्यूटर टायपिंग के कार्यों में करोड़ों का फर्जी भुगतान करना, ठेकेदार को अनावश्यक समयावृद्धि देना, बेलहा तालाब का कार्य पूर्व में कराया गया था, जिसे पुन नवीन कार्य दिखाकर फर्जी भुगतान करना पाया गया है.
जल संसाधन के भुगतान से जुड़ी शिकायत आई थी. जांच में आरोप सही पाए गए हैं और करीब दस करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता प्रथम दृष्टया सामने आई है. विभाग के नौ तत्कालीन जिम्मेदारों पर एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है.
गोपाल सिंह धाकड़, एसपी लोकायुक्त रीवा
लोकायुक्त रीवा इकाई ने जिन अधिकारियों को आरोपी बनाया है, उसमें प्रमुख रूप से एसए करीम तत्कालीन मुख्य अभियंता, एमपी चतुर्वेदी तत्कालीन अधीक्षण यंत्री मंडल रीवा, राममूर्ति गौतम तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग संभाग रीवा, विनोद ओझा तत्काकालीन उपयंत्री एवं प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी, अजय कुमार आर्य तत्कालीन उपयंत्री, पीके पाण्डेय तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी व अन्य.
भूपेन्द्र सिंह तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, ओपी मिश्रा तत्कालीन उपयंत्री, आरपी पाण्डेय तत्कालीन उपयंत्री आदि शामिल हैं. सभी के खिलाफ धारा 7, 13(1)बी, 13 (2) पीसी एक्ट 1988 संशोधन अधिनियम 2018 एवं 420,467,468, 471 एवं 120बी भादवि के तहत एफआइआर दर्ज की गई है.
प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज भोपाल