Madhya Pradesh News: पवन जैन इओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के आरोपित हैं, फिर भी हो गया आइएएस अवार्ड

Madhya Pradesh News: बैतूल में पदस्थापना के दौरान भी विवादों में रह चुके हैं मुख्यमंत्री के निर्देश पर हटाए गए इंदौर एडीएम पवन जैन । जैन ने पद का दुरुपयोग करते हुए बंधक रखे गए 25 प्रतिशत भू-खण्डों को कार्य पूर्णता प्राप्त किए बिना ही अनाधिकृत रूप से मुक्त करदियाथा।

Madhya Pradesh News: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। दिव्यांग से अभद्रता करने के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर हटाए गए इंदौर एडीएम पवन जैन का यह पहला विवादित कृत्य नहीं है। इसके पहले भी वे कई बार विवादों में रह चुके हैं। पवन जैन के विरुद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (इओडब्ल्यू ) में धोखाधड़ी की धारा 420, 120बी के तहत मामला दर्ज है। बावजूद इसके उन्होंने आइएएस अवार्ड पा लिया। करीब सात साल पहले बैतूल एसडीएम रहते जैन ने आदिवासियों की जमीन नियम विरुद्ध तरीके से सामान्य वर्ग के लोगों को बेचने की अनुमति दे दी थी। इस मामले में भी उन्हेें बैतूल से हटाया गया था।
वर्ष 2006 के एक प्रकरण में इंदौर जिले के सांवेर में कालोनाइजर को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन एसडीएम कौशल बंसल द्वारा कालोनाइजर विद्युत जैन के साथ मिलकर शासन को 98 लाख 72 हजार रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई थी।
कौशल बंसल के बाद पवन जैन सांवेर एसडीएम रहे। इस दौरान जैन ने भी कालोनाइजर पर कार्रवाई करने बजाए उसका साथ दिया। वर्ष 2010 में पवन जैन ने कालोनाइजर विद्युत जैन को विकास पेटे बंधक रखे गए कालोनी 25 भू-खण्डों को तत्कालीन राजस्व निरीक्षक दिनेश चंद्र शर्मा के बिना दिनांक वाले चार लाइन के पत्र के आधार पर बिना विकास कार्य पूरा हुए मुक्त करने का आदेश दे दिया था।

Madhya Pradesh News: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। दिव्यांग से अभद्रता करने के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर हटाए गए इंदौर एडीएम पवन जैन का यह पहला विवादित कृत्य नहीं है। इसके पहले भी वे कई बार विवादों में रह चुके हैं। पवन जैन के विरुद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (इओडब्ल्यू ) में धोखाधड़ी की धारा 420, 120बी के तहत मामला दर्ज है। बावजूद इसके उन्होंने आइएएस अवार्ड पा लिया। करीब सात साल पहले बैतूल एसडीएम रहते जैन ने आदिवासियों की जमीन नियम विरुद्ध तरीके से सामान्य वर्ग के लोगों को बेचने की अनुमति दे दी थी। इस मामले में भी उन्हेें बैतूल से हटाया गया था।
वर्ष 2006 के एक प्रकरण में इंदौर जिले के सांवेर में कालोनाइजर को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन एसडीएम कौशल बंसल द्वारा कालोनाइजर विद्युत जैन के साथ मिलकर शासन को 98 लाख 72 हजार रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई थी।
कौशल बंसल के बाद पवन जैन सांवेर एसडीएम रहे। इस दौरान जैन ने भी कालोनाइजर पर कार्रवाई करने बजाए उसका साथ दिया। वर्ष 2010 में पवन जैन ने कालोनाइजर विद्युत जैन को विकास पेटे बंधक रखे गए कालोनी 25 भू-खण्डों को तत्कालीन राजस्व निरीक्षक दिनेश चंद्र शर्मा के बिना दिनांक वाले चार लाइन के पत्र के आधार पर बिना विकास कार्य पूरा हुए मुक्त करने का आदेश दे दिया था |
जबकि राजस्व निरीक्षक दिनेश चंद्र शर्मा कालोनी के आंतरिक विकास कार्य के कार्य पूर्णता का प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकृत नहीं थे। पवन जैन को उक्त भू-खण्ड को मुक्त करने से पहले उन्हें रजिस्टर्ड माडगेज कराने का आदेश कालोनाइजर को देना था, जो नहीं दिया गया।
इस भू-खण्ड पर रजिस्टर्ड माडगेज कराया जाता तो शासन को 22 लाख 68 हजार स्र्पए स्टांप शुल्क के रूप में प्राप्त होते। उस समय तक कालोनी का आधारभूत विकास नहीं हुआ था। इसको लेकर भू-खण्ड धारियों की शिकायत पर वर्ष 2011 में तत्कालीन एसडीएम सिटी इंदौर सुधीर तारे ने जांच कर जांच रिपोर्ट अपर कलेक्टर कार्यालय इंदौर को सौंपी थी।
तत्कालीन एसडीएम भारत भूषण सिंह तोमर ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में उक्त कालोनी में मूलभूत विकास कार्य अपूर्ण होने की बात कही। कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित 15 प्रतिशत भूमि पर भवनों का विकास करना कालोनी विकास की अनुमति की शर्तों में था। जिसे मार्च 2010 तक पूर्ण नहीं किया गया था। तत्कालीन एसडीएम पवन जैन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बंधक रखे गए 25 प्रतिशत भू-खण्डों को आंतरिक विकास कार्य पूरे हुए बिना एवं संबंधित विभागों से कार्य पूर्णता प्राप्त किए बिना ही अनाधिकृत रूप से मुक्त कर दिया था
इस पूरे प्रकरण की जांच में इओडब्ल्यू ने तत्कालीन सांवेर एसडीएम कौशल बंसल, पवन जैन और दिनेश चंद्र शर्मा को अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कालोनाइजर विद्युत जैन व अन्य को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए कालोनी के विकास की अनुमति के समय पर्यवेक्षण शुल्क के रूप में 77 लाख 30 हजार स्र्पए कम जमा कराए थे। वहीं बंधक रखे गए भू-खण्डों के गिरवीनामें का रजिस्टर्ड माडगेज भी नहीं कराया, जिससे स्टांप शुल्क के रूप में 21 लाख 42 हजार स्र्पए इस तरह कुल 98 लाख 72 हजार रुपए आर्थिक क्षति शासन को पहुंचाई थी।
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