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मध्यप्रदेश में ब्यूरोक्रेसी पर असहज और कन्फ्यूज सरकार!, भोपाल कलेक्टर के प्रकरण से उठे सवाल

भोपाल। भोपाल में ब्यूरोक्रेसी को लेकर सरकार इन दिनों कन्फ्यूज और असहज दिख रही है।

इसकी एक बानगी भोपाल कलेक्टर के आदेश को 24 घंटे में बदलने के आदेश से देखा जा सकता है। राजधानी भोपाल के कलेक्टर बनाए गए कौशलेंद्र विक्रम सिंह को कलेक्टरी का चार्ज लेने से पहले से ही आदेश को रद्द कर दिया।

तीन साल से भोपाल में जमे सरकार के एक शक्तिशाली मंत्री के नजदीकी रिश्तेदार अविनाश लवानिया को चुनाव से पहले कलेक्टरी से हटाकर हटाकर उनकी जगह कौशलेंद्र विक्रम सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन अचानक से बुधवार रात उनकी जगह पर आशीष सिंह को भोपाल कलेक्टर बना दिया गया।

बुधवार रात आदेश आने के बाद आज आशीष सिंह ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर पदभार भी ग्रहण कर लिया है। वहीं सरकार ने अविनाश लवानिया के आदेश को बदलते हुए एमडी जल निगम से हटाकर एमडी एमपीआरडीसी बनाया गया। लवानिया के आदेश को बदलने के पीछे भी कारण उनका अपनी नई पोस्टिंग से खुश नहीं होना बताया गया।

सीनियर आईएएस अधिकारियों के तबादले और फिर उनको 24 घंटे के अंदर निरस्त कर नए आदेश निकालने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर प्रदेश में ताबदला उद्योग चलाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रदेश में तबादलों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है, लेन-देन हो रहा है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है।

हाल के दिनों में प्रदेश में यह दूसरा मौका है जब ब्यूरोक्रेसी को लेकर सवाल उठ रहे है। पिछले सप्ताह जबलपुर कमिश्नर पद से हटाए जाने पर सीनियरर IAS अफसर ने नौकरी छोड़ने के लिए आवेदन कर दिया। सीनियर आईएएस अफरसर को सरकार ने जबलपुर कमिश्नर पद से हटाकर मंत्रालय पदस्थ किया लेकिन बी चंद्रशेखर ने वीआरएस के लिए आवेदन करने के साथ सरकारी खजाने में तीन महीने की सैलरी भी एडवांस में जमा कर दी है। बी चंद्रशेखर के वीआरएस लेने के पीछे का कारण पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है लेकिन बताया जा रहा है बी चंद्रशेखर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है इसलिए उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है।

वहीं एक अन्य IAS अफसर नियाज खान जो अक्सर अपने बयानों और किताबों के कारण चर्चा में रहते है ने सोशल मीडिया हैंडल से अपने बॉयो से IAS शब्द को हटा दिया है। वहीं एक अन्य महिला IAS अफसर शैलबाला मार्टिन सोशल मीडिया को लेकर काफी मुखर नजर आई थी।

मध्यप्रदेश में शीर्ष स्तर पर अफसरशाही के हावी होने की बात बीते दिनों सरकार के कई मंत्री और विधायक भी कर चुके है। पिछले दिनों वन मंत्री विजय शाह के बेटे के साथ एसपी के दुर्व्यवहार का मुद्दा भी खूब गर्माया, वहीं कई मंत्री और विधायक तो खुद मुख्यमंत्री के सामने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके है। शायद यहीं कारण है कि चुनाव से पहले सरकार एक बार ब्यूरोक्रेसी में बड़े स्तर पर फेरबदल करने में जुटी गई है।

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